अस्थाई टांके कितने प्रकार के होते है
अस्थाई टांके कितने प्रकार के होते है
सिलाई करने से पहले सुई व धागे से टांका लगाने के बारे में जानना आवश्यक होता है। टांका लगाना ही प्रारम्भिक सिलाई कहलाती है। यह सिलाई पहले हाथ से ही प्रारम्भ होती है। टांके हाथ से भी लगाये जाते हैं और मशीन से भी लगाये जाते हैं। वह टांके, जिनको लगाने के पश्चात् आवश्यकता पूरी होने पर, फिर उन्हें हटा दिया जाता है। ऐसे सभी टांके अस्थाई टांके कहलाते हैं। ये टांके कुछ ही समय के लिए लगाये जाते हैं। ये टांके निम्न प्रकार के होते हैं.
1. कच्चा टांका (Basting Stitch) – कपड़े के दो भागों के जोड़ने के लिए अथवा किनारों को सुन्दरता प्रदान करने के लिए किनारे मोड़कर कच्चा किया जाता है। यह भी दो प्रकार का होता है – बड़ा कच्चा एवं छोटा कच्चा जिसे परसूज भी कहते हैं तथा अंग्रेजी में इसे Running कहते हैं। स्मोकिंग के लिए भी परसूज का प्रयोग होता है।
2. टेढ़ा कच्चा (Digonal Stitch) – यह कच्चा इसके नाम के अनुरूप अर्थात तिरछे आकार में किया जाता है। अधिकतर जेबों के मुंह पर, बैल्ट की लाइनिंग को दबाने के लिए या कोट के सामने जाले भाग पर किया जाता है। ट्राई लेने तक वस्त्र में टेढ़ा कच्चा रहता है। उसके बाद इसे निकाल देते हैं। जहां दो कच्चों की आवश्यकता हो साथ-साथ में, वहां इसका प्रयोग करते हैं। कोट में अस्तर व बकरम को जोड़ने के लिए भी इसी टांके का प्रयोग होता है। तब इसको Spiral Stitch कहते हैं।
3. ब्रैड मार्का (Thread Mark) – जिन कपड़ों पर ट्रेसिंग व्हील या फिरकी मार्का का प्रयोग नहीं किया जा सकता, उनकी एक तह का निशान दूसरी तह तक पहुँचाने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। एक भाग के डार्ट्स के निशान, सीम के निशानों आदि को दूसरे भाग पर इसी की सहायता से लाया जाता है।
अँड माळ विधि – यह टांका बखिया के टांके की भांति बनाया जाता है। बनाते समय एक टांका कसा व एक ढीला लेते है। यह करने के उपरान्त दोनों पल्लों को चीरकर बीच में ढीले धागे को काट देने से दोनों भागों में निशान आ जाते हैं।
4. स्टे स्टिच (Stay Stitch) – यह भी एक तरह का कच्चा है जो कि कपड़े की तहों को जोड़ने में प्रयोग होता है। ताकि अस्तर वाले कपड़े अलग-अलग न हों और लटके भी नहीं। प्राय: Diagonal कटिंग वाले स्थानों में भी इसका प्रयोग करते हैं.
5. शीघ्रगामी टांके (Running stitch) -कच्ची सिलाई करने के लिए शीघ्रता से दूर-दूर डाले जाने वाले कच्चे टांके लगाये जाते हैं। इसके लिए लम्बी सुई और धागा उपयोग किया जाता है। वस्त्रों की ट्रायल देने के लिए इन्हीं टांकों का प्रयोग किया जाता है।
6.पैडिंग स्टिच (Padding stitch)-यह टांके प्रायः मर्दाने कपड़ों के लिए प्रयोग होते हैं। मोटे व ऊनी कपड़ों के अन्दर छाती पर केनवस, कन्धे पर रुई के पेड आदि फिट करने के लिए ये टांके लगाये जाते हैं। यह .. तुरपन के समान छोटे-बड़े टांके तिरछे डाले जाते । । सीधी ओर से इसके हल्के निशान दिखाई देते हैं। यदि ऊनी कपड़ा पतला हो, तो इन टांकों की लम्बाई 2 से.मी. से अधिक नहीं होनी चाहिए।
7.स्लिप बेस्टिंग (Slip basting) –जब चैक और धारीदार कपड़ों में चैक और धारियां मिलाने के लिए दो परतों को अस्थाई रूप से जोड़ा जाता है, तो उसमें लगने वाले टांके स्लिप बेस्टिंग होते हैं।
टांको से संबधित प्रश्न उत्तर
(B) टेलर का टाँका
(C) तिरछा कच्चा टाँका
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
(B) हेरिंगबोन टाँका
(C) शिवरिंग टाँका
(D) चैन टाँका
(B) डण्डी
(C) कम्बल
(D) फिश बोन
(B) पोशाक के आकर्षण में वृद्धि नहीं होती
(C) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
(B) फिशबोन टाँका
(C) हेरिंगबोन टाँका
(D) चाम्पे का टाँका
(B) शिवरिंग टाँके का
(C) कम्बल टाँके का
(D) फिश बोन टाँके का
(B) ब्लाउज
(C) पेटीकोट
(D) ‘b’ और ‘c’ दोनों
(B) मेजपोश
(C) पिलो कवर
(D) ये सभी
(B) शिवरिंग टाँका
(C) चेवरन टाँका
(D) हेरिंगबोन टाँका
(B) कपड़े की मजबूती बढ़ाने में
(C) कपड़े की कीमत को बढ़ाने में
(D) सिर्फ कपड़े की सिलाई करने में
(B) फिस्की टाँका
(C) सारजू टाँका
(D) थैड टाँका
(B) हैरिंग
(C) क्रॉस स्टिच
(D) क्विलटिंग
(B) शेडों
(C) शेड
(D) लेजी-डेजी
(B) योक
(C) लेइंग
(D) ले-आउट
(B) पैन्ट
(C) शर्ट
(D) पैजामा
(B) शिवरिंग टाँका
(C) हेरिंगबोन टाँका
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) चैन टाँका
(C) चेवरन टाँका
(D) ये सभी
(B) अस्तर
(C) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) शिवरिंग टाँके का
(C) डण्डी टाँके का
(D) कम्बल टाँके का
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